मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

“लोधी”

                                                “ लोधी ” 


लोधी” हिन्दू समुदाय भारत भर में फैला है. समुदाय क्षत्रिय वर्ग के अंतर्गत आता है और एक मजबूत योद्धा के रूप में माना जाता है. शब्द “लोधी” योद्धा (योद्धा) का अर्थ है जो लोध का दूसरा संस्करण है. लोधी पृथ्वी के पहले क्षत्रिय थे. लोधम पहले ऋग्वेद, सनातन हिंदू धर्म के सबसे पुराने साहित्य में निकली शब्द है .“लोधी” शब्द मनुस्मृति अध्याय VII-54 में और परशुराम साहित्य में दिखाई देता है. दर्शाये सभी श्लोको में, शब्द लोधम शूरवीर (योद्धा, बहादुर) के लिए प्रयोग किया गया है. परशुराम ने क्षत्रियों के नेताओं को तो छोड़ दिया पर चक्रवर्ती राजा सहस्रबाहु, परशुराम के हाथो मारे गए जब सभी क्षत्रिय भगवान महेश के पास गये और परशुराम के अत्याचारों से बचाऩे को कहा . भगवान महेश ने परशुराम से क्षत्रियो को बचाया और क्षतरा (हथियार) से खेती करने का आदेश दिया. भगवान महेश आज भी लोधेशवर महादेव के रूप में पूजा जाता है.

सोमवार, 23 मार्च 2015

आर्यभट्ट उपग्रह

आर्यभट्ट उपग्रह भारत द्वारा निर्मित 'प्रथम मानव रहित' उपग्रह है। इस उपग्रह का नामकरण पांचवी शताब्‍दी के प्रसिद्ध 'भारतीय खगोलविद् और गणितज्ञ' आर्यभट्ट के नाम पर किया गया था। इस उपग्रह को बंगलोर के निकट पीन्‍या में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार किया गया था, किंतु इसे सोवियत संघ में लॉन्चिंग स्टेशन कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन नामक एक प्रक्षेपण यान द्वारा 19 अप्रैल 1975 को प्रक्षेपित किया गया। आर्यभट्ट उपग्रह का भार 360 कि.ग्रा था। और उसे पृथ्‍वी के आयन मंडल में दशाओं का परीक्षण करने, सूर्य से आने वाली न्‍यूट्रॉन और गामा किरणों की गणना करने और एक्‍स-रे खगोलशास्‍त्र में अनुसंधान हेतु तैयार किया गया था। इसके वैज्ञानिक उपकरणों को कक्ष में उस के पहुंचने के पांचवे दिन उपग्रह के विद्युत ऊर्जा तंत्र में ख़राबी के कारण बंद करना पड़ा। फिर भी इसके संचालन काल के पांच दिनों में महत्‍वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की गई।

बुधवार, 11 मार्च 2015

Jagdeesh Lodhi



Dekha h humne ye azmaakr...

dhoka de jate h log aksar kareeb aakar.......

kehti h ye duniya par dil nahi maanta.......

kya tum b bhuul jaoge mujhe apna banakar......?













हिंदी शायरी HINDI SAAYRI

"रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर;
और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये;

जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे;
फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।

ये कफन , ये. जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ. बातें हैं. मेरे दोस्त,,,
वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना. हो...!!

ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला, 
ज़िंदा. थे. तो. तैरने. न. दिया. और मर. गए तो डूबने. न. दिया . . 

क्या. बात करे इस दुनिया. की 
"हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हैं"

जो सामने. हैं उसे लोग. बुरा कहतें हैं,
जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुद". कहते. हैं.!!!

मंगलवार, 10 मार्च 2015

रंग पंचमी

                                                  रंग  पंचमी


रंग  पंचमी का   त्यौहार हमारे  देश भारत में बड़ी धूम  धाम से मनाया जाता है   इस दिन सभी लोग आपस में होली खेलते है तथा मिठाई बाटते है 
राजपुरा  में होली के बाद पंचमी के दिन रंग खेलने की परंपरा है। 
यह रंग सामान्य रूप से सूखा गुलाल होता है।
 विशेष भोजन बनाया जाता है  है।
मछुआरों की बस्ती मे इस त्योहार का मतलब नाच, गाना और मस्ती होता है।
ये मौसम रिशते (शादी) तय करने के लिये मुआफिक होता है,
क्योंकि सारे मछुआरे इस त्योहार पर एक दूसरे के घरों को मिलने जाते है और काफी समय मस्ती मे व्यतीत करते हैं।
[1] राजस्थान में इस अवसर पर विशेष रूप से जैसलमेर के मंदिर महल में लोकनृत्यों में डूबा वातावरण देखते ही बनता है जब कि हवा में लाला नारंगी और फ़िरोज़ी रंग उड़ाए जाते हैं।
[2]  मध्यप्रदेश के नगर इंदौर में इस दिन सड़कों पर रंग मिश्रित सुगंधित जल छिड़का जाता है।
[3] लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली पर जलूस निकालने की परंपरा है। जिसे गेर कहते हैं। जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं। नगर निगम के फ़ायर फ़ाइटरों में रंगीन पानी भर कर जुलूस के तमाम रास्ते भर लोगों पर रंग डाला जाता है। जुलूस में हर धर्म के, हर राजनीतिक पार्टी के लोग शामिल होते हैं, प्राय: महापौर (मेयर) ही जुलूस का नेतृत्व करता है। प्राचीनकाल में जब होली का पर्व कई दिनों तक मनाया जाता था तब रंगपंचमी होली का अंतिम दिन होता था और उसके बाद कोई रंग नहीं खेलता था