मंगलवार, 10 मार्च 2015

रंग पंचमी

                                                  रंग  पंचमी


रंग  पंचमी का   त्यौहार हमारे  देश भारत में बड़ी धूम  धाम से मनाया जाता है   इस दिन सभी लोग आपस में होली खेलते है तथा मिठाई बाटते है 
राजपुरा  में होली के बाद पंचमी के दिन रंग खेलने की परंपरा है। 
यह रंग सामान्य रूप से सूखा गुलाल होता है।
 विशेष भोजन बनाया जाता है  है।
मछुआरों की बस्ती मे इस त्योहार का मतलब नाच, गाना और मस्ती होता है।
ये मौसम रिशते (शादी) तय करने के लिये मुआफिक होता है,
क्योंकि सारे मछुआरे इस त्योहार पर एक दूसरे के घरों को मिलने जाते है और काफी समय मस्ती मे व्यतीत करते हैं।
[1] राजस्थान में इस अवसर पर विशेष रूप से जैसलमेर के मंदिर महल में लोकनृत्यों में डूबा वातावरण देखते ही बनता है जब कि हवा में लाला नारंगी और फ़िरोज़ी रंग उड़ाए जाते हैं।
[2]  मध्यप्रदेश के नगर इंदौर में इस दिन सड़कों पर रंग मिश्रित सुगंधित जल छिड़का जाता है।
[3] लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली पर जलूस निकालने की परंपरा है। जिसे गेर कहते हैं। जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं। नगर निगम के फ़ायर फ़ाइटरों में रंगीन पानी भर कर जुलूस के तमाम रास्ते भर लोगों पर रंग डाला जाता है। जुलूस में हर धर्म के, हर राजनीतिक पार्टी के लोग शामिल होते हैं, प्राय: महापौर (मेयर) ही जुलूस का नेतृत्व करता है। प्राचीनकाल में जब होली का पर्व कई दिनों तक मनाया जाता था तब रंगपंचमी होली का अंतिम दिन होता था और उसके बाद कोई रंग नहीं खेलता था

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